हंसने की बात पे तो— ( कविता)
******कवित्त *****
हंसने की बात पे तो हंसना ही चाहिए।
दिन आज हंसने का हंसिए हसाइए।
न रहिए उदास पास मेरे आ जाइए।
गम कोई आपका हो मुझको बताइए।।
दुख सुख आना जाना, दोनों में ही मुस्कुराना।
है न घबराना और न ही इतराना है।
गुजरे पल हंसते हंसाते ,नुक्शा यह अपनाइए।।
जीवन के दिन चार,कर सच का व्यापार,
कारोबार झूट का,ले जाएगा न पार
मिले कोई दीन दुखी उसे गले से लगाइए।।
हम भी जिये तुम भी जियो,प्याला प्यार का पी ले।
साथ मेरे बैठ कर पेग तो बनाइए।।
राजेश व्यास “अनुनय”