हँसूँगा हर घड़ी पर इतना सा वादा करो मुझसे
हँसूँगा हर घड़ी पर इतना सा वादा करो मुझसे
न कोई मुझपे हँसेगा न ही दीवाना कहेगा
मैं सब कुछ देखकर अनदेखा सा कर ही तो दूँ लेकिन
न कोई नादाँ कहेगा न ही अनजाना कहेगा
जो चाहो कर दूँ उजाला कहो तो जल मरूँगा पर
न कोई शम्मा कहेगा न ही परवाना कहेगा
किसी से कुछ न कहूँगा किसी को तंग न करूँगा
न कोई अपना कहेगा न ही बेग़ाना कहेगा
न तन्हाई का गम होगा न होंगे आँख में आँसू
समझ कर सांगदिल मुझको कोई ताना ना कहेगा
कभी ख़ामोश रहूँगा कभी चीख़ूँगा जी भर के
न तो कायर कहेगा कोई न हड़काना कहेगा
कभी गहरा समंदर सा कभी तूफ़ाँ सा बेक़ाबू
न तो भोला कहेगा कोई न इतराना कहेगा
कंचन