हँसी तुम्हारी चंदा जैसी
हँसी तुम्हारी चंदा जैसी
हँसी तुम्हारी चंदा जैसी,
चितवन फूल पलाश
बातें झरना यथा ओसकण
तारों भरा उजास
गुन-गुन भौंरों जैसे गाना,
और शरारत से मुस्काना
हौले-से,ही हमें चिढ़ाना
वादा कर फिर हाथ न आना
चमकाती लेकिन फिर भी हो
एक किरन की आस
जो भी दिन है साथ बिताए,
जस फूलों की घाटी में घर
नोंक-झोंक विस्मृति-स्मृति में,
एक क्षीरमय सुन्दर सर
मिलना तुम से तीरथ जैसा,
भूला – बिसरा रास
२९ जून २००९