हँसाती है किसी को और रूलाती है रोटियाँ,
हँसाती है किसी को और रूलाती है रोटियाँ,
करतब बड़े से बड़े से दिखाती है रोटियाँ।
रहतीं हैं ज़िन्दगी के साथ रूह की तरह ,
जीना भी ज़िन्दगी को सिखाती हैं रोटियाँ।
हर आदमी की भूख मिटाती हैै रोटियाँ,
बदले में आदमी को खाती है रोटियाँ।
महेन्द्र नारायण