हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे -विजय कुमार पाण्डेय
हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
कैसे रहना क्या दिखलाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
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बात मिलाई कुछ ना मैंने सब सीधा सब सादा है
कहना कब कब चुप हो जाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
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चन्दा सूरज कैसे जग को रौशन कर के जाते हैं ,
छुपना कब कब छा जाना है हां मैं तुमसे सीख लिया।
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बात जगत के दो रंगी पर क्यों उदास हो जायें हम ,
खुद में भी दो धार लगाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
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देख परिंदे लोग यहां पर जाल बिछाये बैठे हैं
जाल छूये बिन दाना खाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
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आज कलम के बारे में जो पक्षपात हमने देखा,
रोती कलम को क्या समझना हां मैं तुमसे सीख लिया।
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तुम जगत हो गुरूवर मेरे सबकुछ तुमसे सीखा हैं
आज बचा सब था जो पाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
*** -‘प्यासा’
Vijay Kumar Pandey