हँसगति छन्द
[16/09/2020]
हंसगति, छन्द प्रथम प्रयास
11,9 की यति रखकर यति से पहले गुरु लघु औऱ यति के बाद में त्रिकल जरूरी एवं पदांत समकल से होता है ।
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सुबह
स्वर्णिम चादर ओढ़, सुबह है आयी ।
शीतल हिम की बूंद, धरा पर छायी ।
सूरज ने रंगीन, रश्मि बिखराई ।
धरती पर हर ओर, लालिमा छायी ।
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भिखारी
बनता तू धनवान, दान कर माया ।
दु:खी भिखारी आज, द्वार पर आया ।
शीघ्र अन्न से थाल, भरा कर लाओ ।
भरा रहे भंडार, सदा सुख पाओ ।
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रास
यमुना तट पर श्याम, बजाते वंशी ।
रास रचाती साथ, राधिका अंशी ।
लगे मनोहर आज, कृष्ण कन्हैया ।
है जसुदा का लाल, वंशी बजैया ।
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स्वरचित
अभिनव मिश्रा✍️✍️
( शाहजहांपुर)