हँसकर दो चार बाते क्या हुई बस फ़िदा हो लिए,
हँसकर दो चार बाते क्या हुई बस फ़िदा हो लिए,
सोसल मिडिया मुलाक़ात पर ये इब्तिदा हो लिए !
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इस ज़माने के बच्चे क्या जाने फ़साना-ऐ-इश्क,
ज़िस्म की प्यास बुझाई और बस जुदा हो लिए !
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लैला मजनू, सीरी फ़रहाद को पढ़ो कभी जरा,
जो मिलन की चाह में जिंदगी से विदा हो लिए !
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बात बात पर आमदा है ये मरने मारने के लिए,
हुस्न ने जरा नाज़ क्या उठाया गमजदा हो लिए !
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क्या उठा सकेंगे लुफ्त-ऐ-जुदाई, बेवफाई का,
करके बदनाम मुहब्बत को अलविदा हो लिए !!
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@डी के निवातिया