आज का युद्ध, ख़ुद के ही विरुद्ध है
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
23/152.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
प्यार क्या होता, यह हमें भी बहुत अच्छे से पता है..!
इजहार करने के वो नए नए पैंतरे अपनाता है,
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
माॅं
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
*सब से महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
वो मेरी ज़िंदगी से कुछ ऐसे ग़ुजर गया
“बचपन में जब पढ़ा करते थे ,
तेजधार तलवार से, लड़कियों के चक्कर से, जासूसों और चुगलखोर से
नई पीढ़ी पूछेगी, पापा ये धोती क्या होती है…
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
कभी पलट कर जो देख लेती हो,
"दानव-राज" के हमले में "देव-राज" की मौत। घटना "जंगल-राज" की।