Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक अरुण अतृप्त
ग़ज़ल (याद ने उसकी सताया देर तक)
तेरी दहलीज़ पर जब कदम पड़े मेरे,
किसी भी सफल और असफल व्यक्ति में मुख्य अन्तर ज्ञान और ताकत का
चले शहर की ओर जब,नवयुवकों के पाँव।
मैं मुहब्बत के काबिल नहीं हूं।
"हिचकी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*अपने पैरों खड़ी हो गई (बाल कविता)*
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इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।
ज़िन्दगी के सीधे सपाट रास्ते बहुत लंबी नहीं होती,