बदमिजाज सी शाम हो चली है,
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
बहने दो निःशब्दिता की नदी में, समंदर शोर का मुझे भाता नहीं है
*उच्चारण सीखा हमने, पांडेय देवकी नंदन से (हिंदी गजल)*
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दोस्त बताती थी| वो अब block कर गई है|
सबसे बड़ा सवाल मुँहवे ताकत रहे
राधा अब्बो से हां कर दअ...
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*