सफ़ाई
सफ़ाई देता है जो सफ़ाई देता है,
मुझे तो सब कुछ दिखाई देता है,
तूँ चाहता है मैं न सुनू कुछ भी,
मग़र मुझे तो ऊंचा सुनाई देता है,
तूँ ख़ैर मत मांग मेरी सलामती का,
मेरी राह का कांटा हटाई देता है,
तूँ कितना लिखेगा नकल करके,
जो भी लिखा सब मिटाई देता है,
अब मिठास तेरी जुबान में न रही,
तूँ बोले तो कड़वी दवाई देता है,
अखिल तेरे दर पे कोई ग़ैर न रहे,
सब अपने हैं जहां तक दिखाई देता है।