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24 Jan 2018 · 1 min read

सफ़र ज़ारी है

हर इक मुकाम पर
अनजानी मंज़िलों को
तलाशती ज़िंदगी की
अभिलाषाओं का
सफर ज़ारी है
हर इक शज़र पे
रंग बदलते मौसमों का
खिलते झरते पत्तों की
सर उठाती उम्मीदों का
सफर ज़ारी है
सूरज के घोड़ो पर सवार
गुनगुनाती परछाइयों तले
बनती बिगड़ती
इंद्रधनुषी तमन्नाओं का
सफर ज़ारी है
बेसुरी बेसबब सी
हो भी जाए तो क्या
गज़ले तरन्नुम सा
गुनगुनाती ज़िंदगी का
सफर ज़ारी है

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित

Language: Hindi
580 Views
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