सफ़र ज़ारी है
हर इक मुकाम पर
अनजानी मंज़िलों को
तलाशती ज़िंदगी की
अभिलाषाओं का
सफर ज़ारी है
हर इक शज़र पे
रंग बदलते मौसमों का
खिलते झरते पत्तों की
सर उठाती उम्मीदों का
सफर ज़ारी है
सूरज के घोड़ो पर सवार
गुनगुनाती परछाइयों तले
बनती बिगड़ती
इंद्रधनुषी तमन्नाओं का
सफर ज़ारी है
बेसुरी बेसबब सी
हो भी जाए तो क्या
गज़ले तरन्नुम सा
गुनगुनाती ज़िंदगी का
सफर ज़ारी है
मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित