“स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को”
स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को
लिख देंगे इतिहास नया हम, कलम बना तलवारों को
राष्ट्रवाद का स्वप्न सजा, जो भारत पर कुर्बान हुए
जर्रा जर्रा नमन करेगा, देश के उन किरदारों को
स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को
तोड़ गुलामी की जंजीरें, नव भारत हम को सौंप गए
जो जिस देश के वासी थे, वो उसी देश को लौट गए
आजादी का युद्ध लड़ें जो, नमन सभी कर्णधारों को
स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को
जब रणभूमि में लक्ष्मीबाई को, क्रूर फिरंगी घेरे थे
तब पृष्ठ भाग पर पुत्र बांधकर, दिए तलवारों से पहरे थे
वो परम वीरता की सीमा तक, लाँघ चली दीवारों को
स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को
रघुकुल की ये रीत रही वचनों को प्राणों से बढ़कर मान दिया
वो सात वचन फिर कहाँ गए, जब राम ने सीता त्याग किया
ये प्रश्न सदा प्रहार करेगा, रघुकुल के आधारों को
स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को
नारी तेरे अपमानों ने, कैसा ये परिणाम दिया
गीता का उपदेश दिया और महाभारत संग्राम दिया
धोकर केश रक्त से जिसने, मान दिया प्रतिकारों को
स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को
कुरुक्षेत्र के युद्ध प्रांगण में जो बना सारथी वो कोई अवतारी था
प्रभु कृष्ण सुदर्शन तेरा, सारी सेना पर भारी था
फिर भी तूने शस्त्र त्यागकर, प्रत्यक्ष किया किरदारों को
स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को
रामायण हो महाभारत हो या कलयुग की कोई गाथा हो
नारी को माने देवी सा, यहीं मान यहीं मर्यादा हो
ऐसा भारत निर्माण करें, जो जिन्दा रखे संस्कारों को
स्वेद नहीं हम शोणित देंगे, भारत के श्रृंगारों को
कुमार अखिलेश
जिला देहरादून (उत्तराखण्ड)
मोबाइल नंबर 09627547054