——–स्वास्तिक——-
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अर्थ::महत्व::व्याख्या
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स्वास्तिक हिंदु धर्म का सनातन एवं शुभता का प्रतीक माना गया है ।हर शुभ कार्य करने से पहले इसका चिन्ह बनाया जाता है।
ईश्वर दसों दिशाओं के कण कण में विद्यमान हो और उसका प्रत्येक जीव उसका अस्तित्व स्वीकार करे।सु अर्थात शुभ और अस्ति का अर्थ होना।स्वास्तिक का उद्भव वेदों के साथ ही हुआ।यदि आप स्वास्तिक को देखें तो यह चार प्रमुख दिशायें और चार उपदिशायें और चार ही केंद्रक हैं।इसको जिस ओर से घुमाओ यह एक समान दिखाई देता है।हिंदु धर्म में स्वास्तिक और ॐ के साथ ही मंगल और शुभता का प्रतीक माना गया है।यह वास्तु दोषों का निवारक भी माना गया है।
विवेचना:—
राजेश’ललित’