स्वार्थ सिद्धि की काई
चोला ओढ़ अब सज्जनता की
कई पहुंच रहे चुनाव मैदान
जिनकी करतूतों से कभी तंग
रहे समाज के अनेक इंसान
राजनीतिक दलों की दृष्टि पर
जमी है स्वार्थ सिद्धि की काई
दागियों की तमाम खामियां भी
उन्हें बिल्कुल नजर न आ रहीं
चुनाव आयोग के नियम कायदों
को रखकर कहीं एक किनारे
लोकतंत्र की नींव में वो मट्ठा डाल
रहे हैं जो खुद को मानते रखवारे
ईश्वर सभी सियासी दलों के प्रमुखों
को देवें ऐसी सद्बुद्घि और सन्मति
चुनाव प्रणाली की खामियों को दूर
करने को बनाएं वो समुचित नीति