स्वार्थों सहूलियतों के बांध
“स्वार्थों सहूलियतों के बांध”
बांध के टूटने पर, तो मित्र, बाढ़ ही आती है,
और वो अपने साथ सर्वस्व बहा ले जाती है,
प्रश्न ये नहीं है कि, बांध मजबूत था या नहीं,
प्रश्न ये है कि, ये धाराएं, बांधी क्यों जाती हैं.
~ नितिन जोधपुरी “छीण”