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24 Nov 2021 · 1 min read

स्वाभिमान

आज भी एक छोटी सी प्रयास, आप सब के बीच मे समर्पित करता हूँ।

तुमने अपना रुख क्या बदला
मैंने अपना मुख ही मोड़ लिया ।

तुम मेरे दुःख में न आए तो क्या
मैं तेरे सुख में भी झांकना छोड़ दिया ।

झूठे नाते-झूठे बाते हमे हरगिज़ पसन्द नही
अनेको स्वार्थी रिश्ते को ऐसे ही मैंने तोड़ दिया।।

एक वक्त था, जब हालात पूछा करते थे हम तेरे
अब तो तेरे गलियों में जाना तक भी छोड़ दिया।।

अब तो मुहब्बत बस खुद से ही रह गई है
वक्त ने ऐसा मारा जो खुद से नाता जोड़ लिया।।

?️कुमार अनु

Language: Hindi
6 Likes · 1 Comment · 1716 Views
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