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14 Oct 2024 · 1 min read

स्वाभिमान की बात कर रहा,

स्वाभिमान की बात कर रहा,
वो पुश्तैनी भिखमंगो से।
उम्मीद है उसको लाज शर्म की,
त्रेता के बेशर्मों व नंगों से।।

रामचरित जिसे जगा न पाया,
ना योगेश्वर की गीता ही।
ये कलिपशुमनु सुधरेगा,
क्या तेरे इन सत्संगो से।।

“शून्य”

1 Like · 10 Views
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