स्वान आया
***** सावन आया ******
**********************
सावन आया मन भर आया,
मन भर आया साजन आया।
छम-छम बरसे काली बदली,
नभ में होती अदला – बदली,
कभी धूप कभी घोर छाया।
सावन आया मन भर आया।
मेघ उमड़ते जल भर लाते,
श्वेत जाते श्याम बन आते,
घुमड़-घुमड़ है बादल आया।
सावन आया मन भर आया।
उपवन खिलती डाली-डाली,
खुश होते खेतों में हाली,
पावस बूँद कण कण हर्षाया।
सावन आया मन भर आया।
झूम – झूमता नाचता गाता,
मौसम शोभित मन को भाता,
जन-गण मन आनंद उठाया।
सावन आया मन भर आया।
चहुं ओर छाती हरियाली,
डगर-डगर छाई खुशहाली,
देख खेत खेतिहर मुस्काया।
सावन आया मन भर आया।
मनसीरत दो प्यासे प्रेमी,
मिलने को तरसे कर हामी,
मीठी-मधुर सुरभि ने बुलाया।
सावन आया मन भर आया।
सावन आया मन भर आया।
मन भर आया साजन आया।
**********************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)