स्वागत इक्कीस
स्वागत इक्कीस
दो के साथ शून्य जुड़कर
सन बीस कहलाया था
अपशकुन रहा दुनिया को
बुरा वक्त ले आया था
कोरोना की महामारी को
सारे जग फैलाया था
ठप्प कर सारा विकास
शून्य खूब इतराया था
नहीं दिया कोई उपाय
दारू का मान बढ़ाया था
देवालय पर कहर बना
मदिरालय खुलवाया था
कालचक्र का घटना क्रम
उस पर ही अब भारी है
ठोकर मार शून्य हटाया
दो संग एक की बारी है
आज बीस गया है बीत
इक्कीसवॉं वर्ष आया है
स्वागत करने मन करता
बीस का भय समाया है
करते हैं फिर भी स्वागत
दबे पाँव मत आना तुम
कोरोना की श्रेष्ठ दवाई
जग में फैला देना तुम
जो दाग लगा नई सदी पर
उसको धोकर जाना तुम
इक्कीसवीं सदी इक्कीसवॉं सन
नया स्वर्ण युग होना तुम
यही उम्मीद लगा रखी
दुनिया के जनमानस ने
मानवता को जोर मिलेगा
सन इक्कीस के आने से
राजेश कौरव सुमित्र