स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी की याद में …
लो एक सितारा और टूटा ,
संगीत के आकाश से ।
एक मणि और छूटा ,
भारत के बाहु पाश से ।
एक वीणा की तार टूटी ,
और स्वर लहरी खो गई ।
धरती की मां शारदे ,
स्वर्ग की मां शारदे में समा गई ।
करके अनाथ अंगिनित गीतों को ,
स्वर साम्राज्ञी कहां खो गई ।
भावनाओं के गुलशन की एक अमरबेल ,
लता सहसा लुप्त हो गई ।
पार्थिव से आत्मिक रूप लेकर,
वोह देवी अब स्मृति में ही रह गई ।
परंतु जाते जाते भी अपने गीतों का
अमूल्य खजाना दुनिया को बांट गई ।
वोह सांवली सलोनी कोयल ,
धरती से उड़ कर अनंत आकाश में ,
विलीन हो है ।