!! स्वर्णिम भारत !!
वे कोहिनूर ले गए तख्ते ताऊस ले गए।
सजे-धजे सिंहासन झूमर-फानूस ले गए।।
हजारों मूर्तियों के संग वे नटराज ले गए।
सोना-चांदी मोती पन्ना पुखराज ले गए।।
वे हीरे-जवाहरात मणि-माणिक्य ले गए।
वेद-पुराण व्यास चरक-चाणक्य ले गए।।
योग दशमलव शून्य सूर्यसिद्धांत ले गए।
मर्मज्ञान-तत्वज्ञान संग वेद-वेदांत ले गए।
कोई ग्रंथ कोई ज्ञान के उजाले ले गए।
तो कोई जड़ी-बूटी गर्म मसाले ले गए।।
पहले आततायी आक्रमणकारी ले गए।
फिर बचा-खुचा लूटेरे व्यापारी ले गए।।
बने वो दौलतमंद हमारी लूट-खसोट से।
कुछ हालातों से कुछ हमारे ही खोट से।
आज भी लूट रहे है हमारे तेज दिमाग।
ले जा हमारे लोग चलाने अपने विभाग।।
वे रत्न ले जा सके थे रत्नों की खान नही।
बढ़ा सके थे कुछ सामान पर सम्मान नही।।
ये लूट-पाट वालों का तो कोई ईमान नही।
रत्नगर्भा भारत लूट ले किसी में जान नही।।
बिन किसी को लूटे सम्पन्न था मेरा भारत।
जो हर विधा में समृद्ध रखता था महारत।।
इक दिन भारत फिर से दुबारा होगा सम्पन्न।
उन्नति देख हमारी ये सारा जग होगा सन्न।।
जिस भूमि में समृद्धि-सृजन की परिपाटी है।
वो अनमोल महान भारत भूमि की माटी है।।
सारी भारत भूमि ही रत्नों से भरी खान है।
जहां लोग भी रखते ‘भारतरत्न’ पहचान है।।
ये चिड़िया चाहे लगा ले सारे जग का फेरा।
सोने की चिड़िया का बस भारत ही बसेरा।।
सन् सैंतालीस से जब हुआ है नया सवेरा।
तब ही से यही पर डालना चाहती है डेरा।।
ये सोने की चिड़िया का है घोंसला बनाना।
‘स्वर्णिमभारत’ सपने का है हौसला बढ़ाना।।
अब हम ने तीन सौ करोड़ हाथ मिलाने है।
प्रगतिपथ पर कदम मिलकर साथ बढ़ाने है।।
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१५ अगस्त अमर रहे !
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
©जीवनसवारो