स्वर्ग सा घर है मेरा
स्वर्ग सा घर है मेरा
यहां प्रेमासुख सुवास है।
परिवार के साथ रहवास है
पल पल खुशियों से है भरा
स्वर्ग सा सुंदर है धरा।
माँ से ममता मिली पिता से प्यार,
भाई-बहनों का साथ
हमेशा आगे आया हाथ
एकता और विश्वाश
घर में हंसी खुशी के साथ
स्वर्ग सा अनुभव होता है साथ।
घर की पट फूलों से सजी
हर कोने में प्रेमकहानी
स्वर्ग सा घर है मेरा,
गूंजती है किलकारियां
सुनते दादाजी की लोरियां
आओ हम सब अपने घर को स्वर्ग बनाए
एक दूजे का सम्मान करे
समन्वय,सामंजस्य को स्थान दे
हर एक के लिए जिए
और खुद के लिए भी जिए।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी “कविराज”
रायपुर छत्तीसगढ़