स्वर्ग यहाँ, नर्क यहाँ
********स्वर्ग यहाँ, नर्क यहाँ*************
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सुन लो ओ मूर्ख इंसान ,समय के बोल फरमान
नर्क यहाँ,स्वर्ग भी यहाँ, सुनो सुनाऊँ मैं दास्तान
करनी यहाँ, भरनी यहाँ,बताता हूँ मैं सुन नादान
सच्ची बातें बताता था,ब्राह्मण का बेटा अंजान
एक अर्थी गुजर रही थी,ले जा रहे दिशा शमशान
पास बैठे जन ने पूछा,तुम्हें है क्या यह संज्ञान
नर्क जाएगा या स्वर्ग ,वह जो मर गया है इंसान
ब्राह्मण सुत ने फरमाया,स्वर्ग जाएगा मृत इंसान
दूसरी अर्थी आई नजर,वह भी जा रही शमशान
तुम बताओ यह भी ज्ञानी,नर्क या स्वर्ग में प्रस्थान
ब्राह्मण सुत दिया जवाब,इसका नर्क द्वार प्रस्थान
इंद्रलोक से सुन देव गण ,बहुत हुए हैरान परेशान
हम देवगण तप कर हारे,अब तक नहीं है ये ज्ञान
पंडित सुत कैसे बन गया,यह बातें बता कर महान
इंद्रदेव आया ख्वाब में,शांत करने मन के उफान
ब्राह्मण सुत से पूछ लिया,तुम्हें कैसे आया यह ज्ञान
उसने छट से ये बता दिया,कैसे आया उसे यह ज्ञान
जिस अर्थी के पीछे-पीछे,झुंड में थे बहुत से इंसान
उसने यहाँ पर दिल जीते,सो स्वर्ग में गया वो इंसान
जिस अर्थी के पीछे-पीछे,बस थे दो चार ही इंसान
सुखविंद्र उसने दिल तोड़े,सो नर्क में गया वो इंसान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)