स्वर्ग में कुछ नहीं रखा है
नारी नहीं, नरता हूँ,
अंतिम पंक्ति में हूँ ,
मौन हूँ,
पर महाशक्ति हूँ ।
समय का इतिहास नहीं,
परिहास हूँ,
नर्त्तन करते
शिव की इति हूँ,
आकाश/पाताल/मंगल
शनि/सूर्य/शशि/तारे
और गुरु शुक्र, वृहस्पति से
बिछोह है किन्तु
कि ब्लैक हॉल हो
या आकाशगंगा….
उस अंतरिक्ष में क्या रखा है,
उस ब्रह्माण्ड में क्या रखा है,
जो स्वर्ग की सैर करूँ !
यानी स्वर्ग में क्या रखा है,
गोकि सैर करूँ ?