“स्वर्ग – नर्क का द्वार यहीं है”
जैसी करनी वैसी भरनी,
लेन – देन का व्यापार यहीं है,
जैसा कर्म करेगा बन्दे,
उसका प्रतिफल मिले यहीं हैं,
स्वर्ग – नर्क का द्वार यहीं है,
झोली किसी की भरें फूलों से,
काँटे किसी के हिस्से आये,
झोपड़ी मिले या महल में वासे,
अपने भाग्य में लिखवाकर लाये,
भाग्य भरोसे मत बैठ प्राणी,
सत्य कर्म तू करता जा,
सत्य कर्म का कारोबार यहीं हैं,
स्वर्ग – नर्क का द्वार यहीं है,
खाली हाथ आया जग में,
हाथ पसारे जायेगा,
काला धन जो किया इकट्ठा,
वो भी काम न आयेगा,
सत्य कर्मों का लेखा – जोखा,
तुझे पाप कर्मों से बचायेगा,
मत बाँध पाप की गठरी,
बोझा भारी हो जायेगा,
यहीं सब भोग कर है जाना,
स्वर्ग – नर्क का द्वार यहीं है,
बुरे कर्मों का बुरा नतीजा,
यहीं तू पायेगा,
रातों को करवट बदलेगा,
दिन में चैन न आयेगा,
तेरी करनी जब आगे आयेगी,
सोच – सोच पछतायेगा,
भोग भोगकर यहीं जाना,
मुक्ति – मोक्ष सब यहीं हैं,
स्वर्ग – नर्क का द्वार यहीं है,
कहीं धनवान बन राज भोगे,
कहीं दो टूक रोटी को तरसे,
आधी – व्याधि, यश – अपयश,
सब कर्मों का प्रतिफल है,
जैसे कर्म करेगा प्राणी,
भोगना यहीं हैं,
मेरा मुझ में कुछ नहीं,
जो कुछ है, वो सत्कर्मों का फल हैं,
क्षण में मुक्ति हो जायेगी बन्दे,
“शकुन” स्वर्ग – नर्क का द्वार यहीं है ||