स्वर्ग नरक का फेर
स्वर्ग नरक का फेर
अनादिकाल से मान्यता चली आ रही थी यह जन्म है पिछले जन्म के कर्मों का फेर, इसी आधार पर भगवान ने बनाया हमें किसी को गरीब किसी को कुबेर, प्राचीन काल से ही विद्वान कहे कि वृद्धावस्था काल में शरीर होगा क्षीण, यमदूत ले जायेगे हमारी सांस निकालकर माटी में विलीन होगें सभी एक दिन, इस जन्म के कर्म से होगा फैसला जब होगा हमारी जीवात्मा का अंत, यमराज पढ़ेंगे तब अपना फरमान कौन भोगेगा स्वर्ग कौन भोगेगा नरक, सब कहें स्वर्ग नरक की दुनिया न्यारी धरती से परे आकाश पाताल में है, हूर की परिया मिले स्वर्ग में नरक बेईमानों के जाल में है, जन्म के समय भाग्य लिखे बेमाता हम इसी के अनुसार बढ़ते हैं, भविष्य का लेखा जोखा पहले से तय हम सिर्फ अपनी भूमिका अदा करते हैं, मीनू को अहसास हुआ आज कहीं तो कुछ छुटा हुआ है. कर्मों का फल तो है गत जन्म का लेकिन बेमाता ने सिर्फ 80 प्रतिशत ही लिखा है, बाकी का 20 प्रतिशत हम लिखेंगे यौवनावस्था तक कर्म करने का मौका है, इस जन्म के कर्मों के अनुसार
अगला जन्म जरूर ढलेगा लेकिन वृद्धावस्था में सबको स्वर्ग नरक तो इसी जन्म में मिलेगा, जो बुढ़ापे में मन की शांति पाए हंसते चलते धरती से चला जाए, हमसफर के हाथों दाह संस्कार करवाये यम के साथ पूरा परिवार देखकर जाए, यही कर्मों से मिला स्वर्ग है बंदे क्यूं अंधविश्वास से खुद को बहलाए, नरक मिला जिसे यहां वह मुक्ति के लिये भी छटपटाता है, जीवनसाथी से अलग होकर वह तन्हा दुःख का नरक भोगकर जाता है, इंतकाल के बाद कुछ नहीं मिलेगा स्वर्ग नरक सब वृद्धावस्था में खिलेगा, यौवनकाल तक का सब हिसाब वृद्धावस्था में चुकाना होता है, तभी करता यमराज हमारी मुक्ति यही तो हमारा भाग्य विधाता है।
Dr.Meenu Poonia