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30 Oct 2021 · 1 min read

स्वर्ग के द्वार पर

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स्वर्ग के द्वार पर रोक कर
माँगा गया हिसाब।
कितने तूने पुण्य किये हैं
कौन-कौन से पाप।
किसको कहते पुण्य,पाप
सबकी सूरत अनजानी।
मैंने तो बस किया यही
पुरी की एक कहानी।
जो भी मैंने किया,न करने
बस जीते रहने, होते रहने।
जँग कभी राजा हो जाने
कभी अमन से रहने।
समय किसीके नाम
लिखा दी फाँसी,
मैंने लिख डाला।
और किसीकी जान बचाने
अपना जीवन दे दाला।
जीकर मैंने कर्तव्य किया
तूझसे न करूँ फरियाद।
चाहे जिसको पुण्य मान
चाहे जिसको अपराध ।
—————————-

Language: Hindi
194 Views
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