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9 Jan 2024 · 3 min read

स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक ‘सुरसरि गंगे

स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक ‘सुरसरि गंगे’ की समीक्षा एवं पाठ

टैगोर काव्य गोष्ठी में ‘सुरसरि गंगे’ का पाठ 18 जनवरी 2023 बुधवार
#लक्ष्मी_नारायण_पांडेय_निर्झर #निर्झर_पांडेय
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साप्ताहिक “टैगोर काव्य गोष्ठी” के अंतर्गत इस बार रामपुर के सुविख्यात कवि स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की काव्य-कृति सुरसरि गंगे का पाठ आयोजित किया गया।
प्रातः 10:30 बजे से 11:30 बजे तक आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ कवि शिवकुमार चंदन, रवि प्रकाश, श्रीमती नीलम गुप्ता तथा विवेक गुप्ता द्वारा स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर के चित्र पर पुष्प अर्पित करके किया गया। ‘सुरसरि गंगे’ काव्य कृति का पाठ रवि प्रकाश द्वारा आरंभ किया गया तथा कृति के विभिन्न सर्ग शिवकुमार चंदन, श्रीमती अनमोल रागिनी चुनमुन श्रीमती नीलम गुप्ता तथा डॉ.अब्दुल रऊफ (पूर्व प्राचार्य, डिग्री कॉलेज) ने सस्वर पढ़ कर सुनाए।
अंत में इस अवसर पर श्रीमती रागिनी अनमोल गर्ग तथा श्रीमती नीलम गुप्ता द्वारा स्वरचित कविताओं का भी पाठ किया गया। समारोह में प्रदीप अग्रवाल (मिस्टन गंज चौराहा) विवेक गुप्ता तथा श्रीमती मंजुल रानी उपस्थित रहीं।
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सुरसरि गंगे (काव्य कृति): एक अध्ययन
_________________________
कविवर लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की मृत्यु के उपरांत वर्ष 2005 में प्रकाशित “सुरसरि गंगे” एक अद्भुत काव्य-रचना है, जिसमें गंगा के महत्व पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया है। छह सर्ग में पुस्तक विभाजित है। इनमें देवलोक से गंगा के धरती पर आगमन तथा इसकी उपस्थिति से भारत भूमि के धन्य हो जाने की अलौकिक गाथा कवि ने प्रस्तुत की है । कवि के शब्दों में :

आगे-आगे चले भगीरथ, पीछे-पीछे गंगा
डगर-डगर पर स्वागत में, बिखरा प्रकाश सतरंगा
पृष्ठ 13

अपनी आस्था से कवि ने गंगा को जो प्रणाम अर्पित किए हैं, वह सदैव स्मरणीय रहेंगे । कवि ने लिखा है :

गीता गंगा गायत्री, गोविंद जहॉं होते हैं
पुनर्जन्म प्राणियों के, फिर नहीं वहॉं होते हैं
प्रष्ठ 29

मंगल महोत्सवों-पर्वों में, दिव्य संस्कारों में
विद्यमान मैं, धर्म-कर्म में, व्रत में त्यौहारों में
पृष्ठ 31

कवि भविष्य का दृष्टा होता है। न जाने कितने दशक पहले निर्झर पांडेय जी ने यह लिख दिया था :

अगर न रोका गया प्रदूषण, धरती धॅंस जाएगी
इस वीभत्स रूप को दुनिया, देख नहीं पाएगी
प्रष्ठ 22

पीछे क्यों हट रहा निरंतर द्रुतगति से गोमुख है
सोचो अद्भुत परिवर्तन का, कारण कौन प्रमुख है
पृष्ठ 23
संगीतात्मकता से ओतप्रोत “सुरसरि गंगे” का प्रकाशन कविवर श्री लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की मृत्यु के उपरांत प्रमुखता से श्री हरिशंकर तिवारी (निवासी श्री-केशवायन 1/31 विकासखंड, गोमती नगर, लखनऊ) के प्रयासों से हुआ है। पुस्तक के कवर के भीतर आपका चित्र भी प्रकाशित है।
भूमिका के रूप में न केवल दो शब्द श्री नवीन जोशी ने लिखे हैं, अपितु पुस्तक के प्रकाशन में भी आपका योगदान रहा है ।
पुस्तक में उल्लिखित कवि-परिचय के अनुसार आपका जन्म-स्थान तथा पता मंदिर वाली गली, रामपुर, उत्तर प्रदेश है। आपकी शिक्षा एम.ए. (हिंदी) तथा एलएल.बी. है । विधि अधिकारी, लोक निर्माण विभाग मुख्यालय, लखनऊ के पद पर आपने कार्य किया । आकाशवाणी रामपुर से आपके काव्य-पाठ प्रसारित हो चुके हैं। आपके पिताजी स्वर्गीय डॉक्टर श्रीकृष्ण शर्मा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बी.ए.एम.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण हुए थे । आपकी पत्नी श्रीमती पुष्पलता पांडेय एम.ए. (हिंदी) तथा दो पुत्र श्री आशुतोष पांडेय (एम.ए. मनोविज्ञान) एवं अमितोष पांडेय (एलएल.बी.) का परिचय पुस्तक के कवर पर प्राप्त होता है।
________________________
रवि प्रकाश
प्रबंधक : राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय (टैगोर स्कूल), पीपल टोला, निकट मिस्टन गंज, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
225 Views
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