स्वर्गवासी पत्नी को पति का खत
स्वर्गवासी पत्नी को पति का खत। हे विधाता इसे उन तक पहुंचा देना।
¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤
प्रिय रिन्कू की मम्मी
सदा सुखी रहो
शादी के शुरूआती सालों मे खतो-किताबत खूब हुई थी। लम्बे लम्बे खत लिखता था, तुम जवाब भी देती पर जरा छोटे। फिर से मन हुआ सो लिख रहा हूं।
अभी कुछ ही दिन हुए है तुम्हे गये हुए लगता है कि अरसे से साथ नही हो, घर की मालकिन घर मे नहीं तो बडा सूना सूना सा लगता है। जानती ही हो कितना चाहता हूं तुम्हें, तुम्हारे बिना रहा नही जाता।
तुम्हारी लायक बडी बेटी रिन्कू तो अपनी उम्र से ज्यादा बडी हो गयी है ऐसी बातें करती है जिन्हे करने मे मै भी संकोच करता हूं, अरे कुछ और मत सोचो मेरा मतलब है वो ज्यादा भावनात्मक न होकर वास्तविकता के नजदीक होती है। सेवाभाव तो बिल्कुल तुम्हारी तरह है, मेरा ऐसे ख्याल रखती है जैसे बेटी के रूप मे तुम आ गयी हो। 2 तारीख को वापस जा रही है, उसकी अपनी भी घर गृहस्थी है।
एक बात और, जब तुम यहां थी तो छोटी शिल्पी एक हफ्ते रहने के लिए आई थी, ध्यान दिया होगा पूरी जिम्मेदारी के साथ घर और बाहर अच्छी तरह सम्भाला, उसे तो अपना दूसरा बेटा मानती हो वो भी कोई कसर नहीं छोड़ती। तुम्हे बहुत याद करती है।
बेटे पिन्टू की कार्यालय के प्रति जिम्मेदारी है इसलिए वो चले गए, हर दिन फोन करते और हाल चाल लेते रहते है। तुम्हारा लाडला बेटा भी तुम्हारी यादों मे डूबा रहता लेकिन जाहिर नहीं होने देता।
मंझली पिन्की भी समय मिलते ही आती जाती रहती है। जानती ही हो बचपन मे सबसे ज्यादा यही मुझे प्यारी थी, पर अब वो भी मेरे साथ नहीं रह पाती, शादी के बाद लडकियों की जिम्मेदारी ससुराल के प्रति भी हो जाती है। चिंता मत करना उसकी तबियत ठीक है, डाक्टर ने कहा विशेष बात नही है बस सफाई और खान पान का ध्यान रखना है।
बहू छाया, पोतिया अनिका इलीना यहीं है। बहू खाने नाश्ते चाय वगैरह का पूरा ध्यान रखती हैं। बच्चे पूंछते है – बाबा जी, दादी जी कब आयेंगी ?
एक बात कहूं, चारो बच्चे तुम्हारे दुलारे, जिन परिस्थितियों में इनका लालन पालन हुआ इनको जो संस्कार मिले वो हर तरीके से सही है, इन्हें घर बाहर सभी जगह मान सम्मान मिलेगा।
मालूम है कि अपना ख्याल रखती हो। मुझे वो दिन नही भूलता जब मेरी तबियत खराब होने पर अकेले ही अपने डाक्टर के यहां चली गयीं थी, फिर भी ये कहना मेरा फर्ज है कि अपना ध्यान रखना दवा वगैरह समय से लेते रहना और हां, मेरी चिंता बिल्कुल भी मत करना, मै ठीक हूं सभी दवाएं समय से ले रहा हूं।
रोज सुबह आख खुलते ही तुम्हे आवाज देने की आदत – ‘रिन्कू की मम्मी’ लेकिन जवाब मे तुम्हारी आवाज़ – ‘हा रिन्कू के पापा’ न सुन कर उदास हो जाता हूं।
अंत मे बस इतना ही, बहुत याद आती हो, आंखे नम हो गयी है। दूसरा खत फिर कभी लिखूंगा।
तुम्हारा
रिन्कू के पापा
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
?
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297