स्वर्गवासी पत्नी को दूसरा खत
हे विधाता इसे भी उन तक पहुंचा देना।
प्रिय रिन्कू की मम्मी
सदा सुखी रहो
चार महीने हो गये तुम्हे गये हुए। पहले वाला खत मिल गया होगा। कोई जवाब नही मिला। क्या इतनी ज्यादा व्यस्त रहती हो कि चार लाइन का खत भी नही लिख सकती। ये तो हो ही नही सकता कि मुझे याद न करती हो, जैसे मै तुम्हारी यादों मे खोया रहता हूं तुम भी रहती होगी। फिर क्या वजह हो सकती है जो तुम खत नही लिखती, समझ नही पा रहा हूं। कम से कम इतना ही बताओ कि जवाब क्यो नही देती।
मुझे अकेला छोड़कर चली गयीं, जब कि अच्छी तरह जानती हो कि अकेला रह नही सकता। बच्चे भी जानते है कि पापा जी को किसी के साथ की जरूरत रहती है। शुरुआती कुछ दिनो मे तो बड़ी बेटी, अपना घर परिवार छोड़कर यहां मेरे साथ रही, उसने अपना फर्ज बखूबी निभाया ये महसूस नही होने दिया कि अब तुम यहां नही हो, लेकिन वो भी कितने दिन रहती। एक दिन ये कहकर, कि फिर आऊंगी, अपने घर चली गई।
बहू और पोतियां काफी दिनो तक यहां साथ रहे और बेटा अपने शहर मे जाब के लिए अकेला रहा। अब तुम्ही बताओ ऐसा कैसे चलता ? इन्ही दिनो बहू की छोटी बहन को प्रथम संतान की प्राप्ति हुई तो ये तय हुआ कि वो वहां जाएगी, मै बडी बेटी के घर और बेटा जाब के लिए अपने शहर मे रहेगा। इस तरह हम तीनो अलग-अलग जगहों पर रहने के लिए अपना मन बना चुके थे।
जब तक यहां अपने निजी आवास मे रहा, नीचे ही आगे वाले कमरे को अपना निवास बना लिया था। फर्स्ट फ्लोर जहां हम रहा करते थे, वो बेडरूम ड्राइंग लिविंग एरिया और तुम्हारा किचन तथा स्टोर जहां बहू ने रह कर अपनी जिम्मेदारी पूरी की, में यदा-कदा ही गया। तुम नही थी तो इस फ्लोर को लगभग त्याग ही दिया, तुम्हारे साथ बिताये गये दिन महीने और कई सालों की यादें पल-पल मुझे कचोटती व बेचैन करती रहती थी। बडी बेटी के घर मे रह कर स्थान परिवर्तन हुआ माहौल भी बदल गया लेकिन तुम्हारे न होने की कमी न बदली। बहुत कोशिश करता हूं, अपने को व्यस्त भी रखता हूं फिर भी तुम हो कि दिमाग से उतरती ही नही।
कुछ दिन बडी बेटी के घर रुक कर बेटे के साथ रहने के लिए उसके शहर आ गया हूं। तुम्हारी छोटी वाली पोती अक्सर तुम्हारी बातें करती है और पूछती है दादी कब आयेंगी। इंतजार कर रहा हूँ, लगता है कि शीघ्र ही तुम्हारा खत आयेगा जिसमे तुम्हारे आने की खबर भी होगी।
तुम्हारा
रिन्कू के पापा
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297