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17 Sep 2022 · 2 min read

स्वरोजगार

“देखो रेखा, प्रमोद भाई ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस में एक पोस्ट साझा की है जो तुम्हारे लिए अत्यंत काम की चीज साबित हो सकती है” ।
सुबह – सुबह गौतम ने अपने मोबाइल में व्हाट्सएप खोलकर अपनी पत्नी रेखा को हर्षित मन से कहा ।

“पर गौतम प्रमोद भैया ने ऐसी कौन सी पोस्ट साझा कर दी जिससे मेरे लिए फायदे की चीज साबित हो ” ।
रेखा ने आश्चर्य से पूछा !

“अरे तुम्हारा सपना था न कि किसी मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थान से सिलाई -कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त करके मेरे साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का और अपने परिवार को आर्थिक सम्बल देने का, और आज वो अवसर आ ही गया जिसका तुम्हे बहुत दिनों से इंतज़ार था” ।

“लेकिन समस्या ये है कि अपना गांव उस संस्था से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है और रोज – रोज मुझे लाने ले जाने में ही आपका आधा दिन वैसे ही निकल जायेगा । तो फिर तुम्हारे काम का क्या होगा । तुम समय से ऑफिस कैसे पहुँच पाओगे ?”

“मैंने सुना है कि एसबीआई आरसेटी नामक संस्था दूर दराज के गांवों से आने वाले प्रशिक्षुओं के लिए निःशुल्क छात्रवास सुविधा भी मुहैया करवाता है जिससे ट्रेनिंग अवधि तक हम वहाँ रहकर आसानी से बिना किसी परेशानी के अपनी ट्रेनिंग पूरी कर सके” ।

“पर मम्मी जी और पापाजी थोड़े ही मानेंगे की मैं एक महीने तक छात्रवास में रहकर सिलाई की ट्रेनिंग लू”

इतने में ही पीछे से गौतम की माताजी यकायक बोल पड़ी जो काफी देर से दोनों की बातों को सुन रही थी ।
“अरे बहु, मुझे और तुम्हारे ससुर जी को क्या परेशानी होगी जब तुम स्वयं सिलाई कढ़ाई का काम सीखकर “स्वरोजगार” विकसित करके आत्मनिर्भर बनना चाहती हो । चूंकि इससे हमे और गर्व की अनुभूति होगी जो तुम मेरे बेटे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अर्थ अर्जन कर अपने घर को आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करोगी और रही होस्टल में रहकर ट्रेनिंग लेने की बात, उसमे भी हमे कोई ऐतराज नही है । वहाँ तुम बिना किसी बाधा के अच्छे से सीख सकती हो और तुम्हे वहाँ माहौल भी अच्छा मिलेगा जहाँ एक्स्ट्रा समय मे भी तुम अभ्यास कर सकती हो जिससे तुम्हारे प्रशिक्षण में और निखार आएगा । अरे पगली ! जब मैंने अपने बेटे को बचपन से होस्टल में रहकर पढ़ाई करने से कोई आपत्ति नही जताई तो मैं तुम्हारे साथ ये भेद भाव क्यों करूगी बेटा” ।

ये सुनते ही रेखा अपने सासू माँ को प्यार से गले लगाकर, अपने आंखों की अश्रुधारा को रोककर, अपने रुंधे हुए गले से सिर्फ इतना ही बोल पाई कि “भगवान ऐसी सासु माँ सभी को दे” ।

गोविन्द उईके

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 238 Views
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