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4 Jun 2022 · 1 min read

स्वयं भी स्वयं का

अस्तित्व पर अपना अधिकार करिए।
स्वयं भी स्वयं का सत्कार करिए।
समझे ना जो तेरे भावों की भाषा,
दूर से ही उसको नमस्कार करिए।
दया, प्रेम का हृदय में विस्तार करिए,
किसी का कभी ना तिरस्कार करिए।
अभिव्यक्ति पर अपनी उपकार करिए
जो स्वीकार ना हो, अस्वीकार करिए ।
अस्तित्व पर अपना अधिकार करिए,
स्वयं ही स्वयं का सत्कार करिए।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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