स्वयं पर एक दृष्टि
मानव का स्वभाव है कि उसका ध्यान सदा अन्य व्यक्तियों पर ही केंद्रित रहता है उनके पास कितना धन है क्या सुविधायें है उनका कैसा बाह्य रूप है उनका स्वभाव कैसा है उनके घर का वातावरण कैसा है क्या स्तर है वगैरह वगैरह । दूसरों की कमियों को उजागर करना और उनकी उपलब्धियों से ईर्ष्या करना बस इससे ही उनको सरोकार है , यदि इसके स्थान पर वे अपना पूरा ध्यान और समय स्वयं की कमियों और उपलब्धियों पर देना प्रारंभ कर दें तो इसके एक साथ कई फायदे हो सकते हैं जैसे कि –
1. वे अपनी खराब आदतो को कमियों को दूर कर सकते है ।
2 अपना कीमती समय अपने कार्यों को बेहतर बनाने में लगा सकते है ।इससे उनका अपना भी जीवन सफल बनेगा ।
3 अपने स्वास्थ्य को अच्छा बना सकते है , योग ध्यान आयुर्वेद से निरोगी काया और निर्मल मन का लाभ प्राप्त कर सकते है ।
4 अपना घर सजा सकते है और स्वयं को भी सुंदर बना सकते है
5 समय पर अपना सब कार्य कर सकते है सबके प्रति अपने बड़ों बच्चों और अन्य सदस्यों के प्रति कर्तव्यों का निर्वाह बखूबी कर सकते है ।अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों से अपने रिश्ते सुधार सकते है।
6 अपने घर के और बाहर के सभी कार्य बिना किसी का आश्रय लिए सम्पन्न कर सकते है
7 कुल मिलाकर अपना जीवन सुखद बना सकते है और अपने परिवार को सफलता की चोटी तक पहुंचा सकते है ।
यदि अपने लिए इतना कुछ हासिल कर सकते है तो व्यर्थ में ही दूसरों पर केंद्रित होकर अपना इतना नुकसान क्यों कर रहे है , अपना फायदा देखना तो मानव का स्वभाव है क्या ऐसा करके वे मूर्खता का परिचय नही दे रहे है , क्यों अपनी नीव को ही खोखला कर रहे है उस पागल की तरह जो उसी डाल को काटता है जिस पर बैठा हुआ है । अरे अब तो अपना लाभ कमाओ और स्वयं पर दृष्टि कायम रखो , वक्त बदल रहा है स्वयं को बदलो जो अब तक नही किया उसको अब आज से ही अपनी आदत बना लो , अपने धन कोष को भरने में अपना वक्त भले लगाओ लेकिन उसके अनुपात में अपने मन कोष को भी सोने चांदी तुल्य सदगुणो से भरपूर रखो उनका सदुपयोग करो अपना भाग्य चमकाओ और सुखचैन पाओ ।