स्वयं को स्वयं पर
स्वयं को स्वयं पर
कुछ अधिकार दो ।
सोच को अपनी
तुम विस्तार दो ।।
कर सकें तुम पर सब
एक विश्वास दो ।
विश्वसनीयता का एक
सबको संसार दो ।।
लक्ष्य को एक सुनिश्चित
आधार दो ।
अपने जीवन को कोई
न मंझधार दो ।।
करके हृदय से वृद्धों की
सेवा-धर्म ।
मुफ़्त में आत्मा को
स्वर्ग का द्वार दो ।।
डॉ फौज़िया नसीम शाद