Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2022 · 2 min read

स्वयं को पहचानना ज़रूरी है

मनुष्य इस संसार में असंख्य जीव-जन्तुओं के होते हुए भी सबसे अद्वितीय ही नहीं बल्कि ऊपर वाले की सबसे अनमोल कृति भी है। ईश्वर ने जिन विशेषताओं से मनुष्य को नवाजा हैं वे गुण और विशेषताएं किसी अन्य • जीव में देखने को नहीं मिलती सिवा हम मनुष्यों के। ऐसी अवस्था में मनुष्य की जिम्मेदारी बनती है कि वह ईश्वर की इस अनमोल कृति पर कभी भी कोई आंच न आने दें, अपने व्यक्तित्व को सकारात्मक रूप में इस प्रकार निखारें कि समाज के लिए स्वयं को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत ही नहीं बल्कि प्रमाणित भी कर सकें।
मनुष्य होने के कारण प्रत्येक मनुष्य में कुछ विशेष गुण और कुछ विशेषताएं पाई जाती हैं लेकिन यह और बात है कि इन गुणों और विशेषताओं का आभास हर किसी को नहीं हो पाता, बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जो अपने गुणों और अपने अंदर छिपी प्रतिभा को पहचान कर अपने अस्तित्व को मनवा पाते हैं और अपने अद्वितीय होने का प्रमाण भी प्रस्तुत करते हैं वरना ऐसे लोगों का कोई अभाव नहीं जो केवल दूसरों की प्रशंसा व गुणगान कर करके स्वयं को हीनता के गर्त में धकेलने से भी गुरेज नहीं करते।
ऐसा नहीं है कि हमें किसी अन्य की प्रशंसा या उसका गुणगान नहीं करना चाहिए, करना चाहिए लेकिन अपने व्यक्तित्व को कम आंककर दूसरे को उठाना किसी भी रूप में उचित नहीं, स्वयं को नकारने वाले लोग नकारात्मक प्रवृत्ति के ही नहीं होते बल्कि उनका स्वयं पर विश्वास भी शून्य ही होता है। ऐसे लोग कब दुनिया में आते हैं और दुनिया से रुखसत हो जाते हैं पता ही नहीं चलता। इसे हम दुर्भाग्य ही कहेंगे कि हमारे समाज में ऐसे लोगों की संख्या असंख्य है ऐसे लोग जो दूसरों के गुणों से प्रभावित होकर उन्हें सम्मान तो प्रदान करते हैं लेकिन अपने अन्दर छुपी प्रतिभा को, अपने मूल्य को, अपनी विशेषताओं को पहचान ही नहीं पाते।
यदि मनुष्य अपने जीवन के मूल्य को समझ लें और सकारात्मक सोच के साथ अपने गुणों और विशेषताओं को निखारने का प्रयास करें तो मुझे नहीं लगता कि उनके अन्दर की प्रतिभा उभरकर सामने न आये, जीवन में मिलने वाली असफलताएं सफलताओं में परिवर्तिन हो जाये। प्रयास तो केवल हमारा स्वयं का सही मूल्यांकन करने का होना चाहिए, इस बात को हमें सदैव स्मरण रखना चाहिए। हम स्वयं को अपनी दृष्टि में जितना ऊपर उठायेंगे, जितना मूल्यवान समझेंगे, उतना ही दूसरे भी आपको सम्मान भी देंगे और मूल्यवान भी समझेंगे, बस जरूरत केवल आपकी स्वयं में आत्मविश्वास उत्पन्न करने की होनी चाहिए और यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपना क्या मूल्य आंकते हैं और स्वयं को कितना महत्व प्रदान करना जानते हैं।
डॉ. फौजिया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: लेख
9 Likes · 467 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
आवाजें
आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिन्दगी हर क़दम पर दो रास्ते देती है
जिन्दगी हर क़दम पर दो रास्ते देती है
Rekha khichi
*फागुन का बस नाम है, असली चैत महान (कुंडलिया)*
*फागुन का बस नाम है, असली चैत महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
Shweta Soni
देश चलता नहीं,
देश चलता नहीं,
नेताम आर सी
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
Rj Anand Prajapati
ज़रा मुस्क़ुरा दो
ज़रा मुस्क़ुरा दो
आर.एस. 'प्रीतम'
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
शेखर सिंह
3154.*पूर्णिका*
3154.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भिनसार ले जल्दी उठके, रंधनी कती जाथे झटके।
भिनसार ले जल्दी उठके, रंधनी कती जाथे झटके।
PK Pappu Patel
मैं
मैं
Dr.Pratibha Prakash
सामी विकेट लपक लो, और जडेजा कैच।
सामी विकेट लपक लो, और जडेजा कैच।
गुमनाम 'बाबा'
मुझे जगा रही हैं मेरी कविताएं
मुझे जगा रही हैं मेरी कविताएं
Mohan Pandey
चल बन्दे.....
चल बन्दे.....
Srishty Bansal
श्रृंगार
श्रृंगार
Mamta Rani
"भोपालपट्टनम"
Dr. Kishan tandon kranti
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
पूर्वार्थ
दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
आता एक बार फिर से तो
आता एक बार फिर से तो
Dr Manju Saini
घूंटती नारी काल पर भारी ?
घूंटती नारी काल पर भारी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चुनिंदा अश'आर
चुनिंदा अश'आर
Dr fauzia Naseem shad
कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
सोलह श्राद्ध
सोलह श्राद्ध
Kavita Chouhan
जलती बाती प्रेम की,
जलती बाती प्रेम की,
sushil sarna
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
Dushyant Kumar
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Loading...