Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2019 · 2 min read

स्वभाव और परिवर्तन-स्पष्टीकरण

प्रायः हम अपने विचारों से प्रभावित होते हैं, जिस प्रभाव का परिणाम नकारात्मक भी होता है और सकारात्मक भी होता है।
मनुष्य के मन में प्रत्येक क्षण अनगिनत विचार आते हैं और क्षण भर में बिसर भी जाते हैं तथा मनुष्य के मन का एक विशेष अंश उन विचारों का विश्लेषण-संश्लेषण करता रहता है। जब हमारा मस्तिष्क हमारे अनगिनत विचारों में से किसी एक विचार को पकड़ लेता है, तो उस विचार से हम उस समय-विशेष पर प्रभावित होते हैं और उस विचार के कारण हमें लाभ होता है या हानि होती है, यह उस विचार का वह परिणाम है, जो अंततः प्राप्त होता है।
अब यदि किसी विचार-विशेष के परिणामस्वरूप होने वाले लाभ और हानि की चर्चा करें, तो यह कहा जा सकता है कि उस विचार से होने वाला लाभ क्षणिक भी हो सकता है या हमारे भविष्य के समय को अच्छा करने वाला भी हो सकता है और अच्छा नहीं कर पाया तो भी कहाँ बुरा होता ही है यह जीवन!
वैसे ही उस विचार से होने वाली हानि भी क्षणिक होती है अथवा भविष्य को प्रभावित करने वाली, जिसमें प्रभाव नकारात्मक भी हो सकता है और सकारात्मक भी हो सकता है। भविष्य को प्रभावित करने वाला अर्थात अधिक हानि कारित करने वाला या दीर्घायु या सूक्ष्म सी हानि, जो भविष्य को प्रभावित करने हेतु पर्याप्त है।
विश्लेषण का शीर्षक परिवर्तित करते हुए संक्षेप में इतना कहना अनुचित नहीं होगा कि मनुष्य का स्वभाव उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है और उसकी प्रकृति उसके विचारों से प्रभावित होती रहती है। प्रायः लोगों को यह कहते सुना है कि मनुष्य की प्रकृति कभी नहीं बदलती किन्तु उसके स्थान पर यह कहना उचित है कि मनुष्य का स्वभाव नहीं बदलता और आगे बढ़ कर विश्लेषण करें, तो स्वभाव प्रकृति के अनुसार निर्धारित होता है और इसका अर्थ हुआ कि स्वभाव भी बदलता है।
परिवर्तन कोई रोक नहीं सकता, मेरा ऐसा विचार है। जो ईश्वर में आस्था रखता है, वह कहता है “परिवर्तन और समय को स्वयं सृष्टि के रचयिता भी नहीं बदल सकते” और नास्तिक व्यक्ति परिवर्तन और समय को किस के अधीन रखता है, यह मैं नहीं सोच पाया लेकिन प्रयत्नशील हूँ।
अतः किसी व्यक्ति के प्रति मन में सदैव के लिए कोई विचार बनाना उचित नहीं है, क्योंकि व्यक्ति-विशेष की विशेषता भी उसके स्वभाव से निर्धारित होती है और स्वभाव तो स्वयं में ही परिवर्तित होता है।
रही बात प्रकृति की तो ‘परिवर्तन प्रकृति की ही रचना है’।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 871 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सिर्फ वही इंसान शिक्षित है, जिसने सीखना और परिस्थितियों के अ
सिर्फ वही इंसान शिक्षित है, जिसने सीखना और परिस्थितियों के अ
इशरत हिदायत ख़ान
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
दिल की गुज़ारिश
दिल की गुज़ारिश
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
Rj Anand Prajapati
हिंदी दोहे -कदंब
हिंदी दोहे -कदंब
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"तेरे बारे में"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी कभी खामोशी भी बहुत सवालों का जवाब होती हे !
कभी कभी खामोशी भी बहुत सवालों का जवाब होती हे !
Ranjeet kumar patre
" महक संदली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बुद्ध पूर्णिमा विशेष:
बुद्ध पूर्णिमा विशेष:
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
#नादान प्रेम
#नादान प्रेम
Radheshyam Khatik
3776.💐 *पूर्णिका* 💐
3776.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
भूख 🙏
भूख 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है - ये सिर्फ किस्से हैं
रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है - ये सिर्फ किस्से हैं
Atul "Krishn"
■विरोधाभास■
■विरोधाभास■
*प्रणय*
मज़लूम ज़िंदगानी
मज़लूम ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
मां
मां
Dheerja Sharma
वो सांझ
वो सांझ
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तुम याद आये !
तुम याद आये !
Ramswaroop Dinkar
मिल नहीं सकते
मिल नहीं सकते
Dr fauzia Naseem shad
4. गुलिस्तान
4. गुलिस्तान
Rajeev Dutta
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अर्ज किया है
अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
!! शब्द !!
!! शब्द !!
Akash Yadav
ବିଭାଗ[ସମ୍ପାଦନା]
ବିଭାଗ[ସମ୍ପାଦନା]
Otteri Selvakumar
खुद से जंग जीतना है ।
खुद से जंग जीतना है ।
Ashwini sharma
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
ruby kumari
Loading...