स्वप्न सजाता कौन (गीतिका)
आधार छंद- वीर/आल्ह (मापनीमुक्त मात्रिक)
३१ मात्रा, १६,१५ पर यति, अन्त गुरु लघु।
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* गीतिका *
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अगर न आती ऋतु बसंत की, सुन्दर स्वप्न सजाता कौन।
सुन्दर फूलों की बगिया में, जीवन को महकाता कौन।
मधुरिम नयनों की गहराई, में डूबे हैं स्वप्न अनेक।
सभी अगर सच्चे हो पाते, बतलाओ भरमाता कौन।
सूरज की पहली किरणें जब, लेकर आ जाती है भोर।
पंछी कलरव अगर न करते, बोलो हमें जगाता कौन।
सच्चे प्रेमी आस लगाए, देते लम्बा समय गुजार।
अगर मिलन की आस न होती, आंसू व्यर्थ बहाता कौन।
लोग सभी जब आस लगाए, आसमान को रहे निहार।
घटा नहीं रिमझिम जब बरसे, सबकी प्यास बुझाता कौन।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १८/०९/२०२१