स्वतंत्रता
स्वतंत्रता , एक भ्र्म है
स्वयं की शक्तियों के प्रति।
स्वतंत्रता , एक कुंआ है
प्रश्नों से लबालब भरा हुआ।
स्वतन्त्रता , एक इतिहास है
पीढियों की गर्त में ।
स्वतंत्रता , मनोरंजन है
पढेलिखों की किताब सी।
स्वतंत्रता—
सर्वव्यापी
सच्चिदानंद
निराकार
ठीक भगवान सी।
——शशि महाजन