“स्वतंत्रता” #100 शब्दों की कहानी#
जब से विवाह हुआ निधी का ससुराल में चलती आ रही प्रथा को निभाते हुए साड़ी ही पहनी और न ही समीर ने बोला कोई दूसरी ड्रेस पहनने को । धीरे-धीरे वक्त बीतने के साथ बेटी समझदार हुई, तो उसने देखा बुआ तो फैशन के हिसाब से ड्रेस पहन रही, दादी मां को ही क्यों टोकती ?
एक दिन उसने मां से अपनी मिड़ी पहनने की ज़िद की, “मुझे इस ड्रेस में देखना है” इतने में दादी आ गई, तो निधी अलमारी के पिछे छिपी, तुम्हें छिपने की जरूरत नहीं मां, दादी भेदभाव मत करो,मां को भी स्वंतत्रता दो ।