स्वतंत्रता-दिवस
_लघुकथा _
स्वतंत्रता-दिवस
*अनिल शूर आज़ाद
“स्कूल नही गए..बिटवा?”
“स्कूल में आज..स्वतंत्रता-दिवस की छुट्टी जो है!”
“यो ‘स्वतंत्रता-दिवस’..का होत बिटवा..तनिक हमका भी बतइओ तो..”
“काका..इसका मतबल है, आज़ादी का दिन..इस दिन हम आज़ाद हुए थे..”
“अच्छा!!!”
मारे आश्चर्य के..उस अधेड़ ‘कचरा बाल्मीकि’ की आँखें बाहर को निकल आई थीं।
(रचनाकाल : वर्ष 1982)