“स्वतंत्रता के नाम पर कम कपड़ों में कैमरे में आ रही हैं ll
“स्वतंत्रता के नाम पर कम कपड़ों में कैमरे में आ रही हैं ll
कुछ महिलाएं चकाचौंध के नाम पर अंधेरे में जा रही हैं ll
शर्मोंहया बेंचकर सबकुछ पा भी लिया तो क्या,
विकास की तरकीबें संदेश के घेरे में आ रही हैं ll
कलम-किताब के बाद सारा ध्यान लिबास पर है,
पढाई लिखाई के बाद किताबें कचरे में जा रही हैं ll
बुराईयां न्यायधीश बनी बैठी हैं,
अच्छाईयां कटघरे में आ रहीं हैं ll
पुरूष तो पहले से बदनाम है इस समाज में,
कुछ महिलाएं पुरूषों के पैंतरे में आ रही हैं ll”
नोट- कृपया व्यक्तिगत न लेवें l
यहाँ बात एक विशेष समूह के लिए कही जा रही है l