स्वच्छ भारत बनाना है
स्वच्छ भारत बनाना है
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न फेंक कूड़ा कचरा तीतर बीतर ,
गंदगी फैलेगा इधर उधर।
स्वच्छता पर ध्यान दे,
बीमारियों को दूर भगाना है।
स्वच्छ भारत बनाना,
प्रेम की गंगा बहाना हैं।
ना कर उपयोग प्लास्टिक का,
कागज की थैली बनाना हैं।
हर जगह सफाई रखना,
जग को सुंदर बनाना है।
स्वच्छ भारत बनाना,
प्रेम की गंगा बहाना हैं।
न काटो अब तुम पेड़ो को ,
हर जगह जल रहा है।
पेड़ अधिक लगाना,
धरा को शीतल बनाना हैं।
स्वच्छ भारत बनाना,
प्रेम की गंगा बहाना हैं।
सागर नदीयों को निर्मल करें,
जीवन सृष्टि को अच्छा रखें।
निज स्वार्थ त्याग कर,
मिलजुलकर खाना है।
स्वच्छ भारत बनाना,
प्रेम की गंगा बहाना हैं।
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रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पिपरभावना, बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822