स्वच्छता गीत
1-स्वच्छता गीत
ऐ हवा ! दे बता ! जिसको भी न हो पता ,
स्वस्थ जीने के लिए बहुत जरूरी स्वच्छता।
शुद्धता से स्वच्छता अरु स्वच्छता से स्वास्थ्य है,
स्वस्थ तन में स्वस्थ मन इसका बड़ा महत्व है।
गंदगी परिधान की हो अथवा खान-पान की,
बीमार करती है हमें बाजी भी लगती जान की।
ऐ हवा ! दे बता ! जिसको भी न हो पता !
स्वस्थ जीने के लिए बहुत जरूरी स्वच्छता।
आस-पास की हवा अरु खान-पान शुद्ध रख,
सर्वजन प्रसन्न रख स्वास्थ्य का मजा भी चख।
साफ सुथरा बह रहा जल भी कहीं जब ठहरता,
जीवाणु वहाँ पनपते मच्छर को लग जाता पता।
ऐ हवा ! दे बता ! जिसको भी न हो पता !
स्वस्थ जीने के लिए बहुत जरूरी स्वच्छता।।
घर हो दफ्तर या सड़क स्वच्छता ही सबका हक,
स्वस्थ तन-मन सुखी जीवन खोज लो जहां बेशक।
यहाँ पर जीव भिन्न-भिन्न हैं विचित्र जैवविविधता ,
श्रेष्ठ मनुज धन्य है जो समझता है स्वच्छता।
ऐ हवा ! दे बता ! जिसको भी न हो पता !
स्वस्थ जीने के लिए बहुत जरूरी स्वच्छता।।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे चर्च मदरसे सब प्यारे,
गांव , कस्बा या शहर ! न गंदगी बने कहर ।
ठहरो नहीं ! लगे रहो ! भक्ति रस पगे रहो !
बीमारियाँ घटेंगी जब बढ़ेगी और स्वच्छता।
ऐ हवा ! दे बता ! जिसको भी न हो पता।
स्वस्थ जीने के लिए बहुत जरूरी स्वच्छता।।
कूड़ा हो कूड़ेदान में हों नालियाँ ढलान में,
संकोच कहीं भी न हो शुद्ध खान – पान में।
रोगी से ना कभी डरें ! डरें तो रोग से डरें !
रोग होना भोग नहीं ! ना ही रोगी की खता।
ऐ हवा ! दे बता ! जिसको भी न हो पता !
स्वस्थ जीने के लिए ! बहुत जरूरी स्वच्छता।।