स्मृति
शीर्षक – स्मृति
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जीवन ही स्मृति के साथ हैं।
स्मृति बैगर सब बेकार है।
सच तो स्मृति ही होती हैं।
हम सभी का साथ स्मृति हैं।
हम सभी स्मृति के साथ हैं।
स्मृति न कोई बहाना होता हैं।
हमारी यादों की स्मृति ही होती हैं।
सच और सोच स्मृति होती हैं।
नाम और नियम कहतीं हैं।
हां सच जीवन में स्मृति होती हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र