स्मृतियों का सफर (23)
स्मृतियों के सफर को यादों की किताब में सहेज कर रखती हूं,
याद आती है तो घूमती हुई अक्सर खोल पढ़ लेती हूं…
कुछ स्मृति कटु और कुछ मधुर होती यह भी समझती हूं
कटु से सीख मिलती है और मधुर से मुस्करा देती हूं
मेरे मन की डिक्शनरी नफ़रत और गुस्से को जगह नहीं देती हूं
मिलनसार मन मेरा ओर सबसे में स्नेह भरपूर रखती हूं
माना जीवन का सफर मीलों का होता है चलते रहना होता है
चलते-चलते अनेक लोगों से मिलना-जुलना होता है
कभी-कभी मिलता है ऐसा जिससे अहसास अनुपम होता है
बहुत हठीला है स्मृतियों का सफर
भुलाऊं लाख याद रहता मगर।
– सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान