स्मार्ट फोन.: एक कातिल
हां जी ! यह तो होगा ही स्मार्ट ,
जब इसने छीन ही लिए सबके काज ।
बेकार हो गई वो सभी चीजें ,
आड़े बन करवरग गई जो आज ।
वो कलाई घड़ी ,जिसमें समय देखते थे ,
बदलते फैशन के साथ जिनका बदला अंदाज ।
वो अनेकों म्यूजिक सिस्टम कहां गए ,
हर पल बिखेरते थे साज और आवाज ।
वो टेप रिकॉर्डर ,रेडियों ,ट्रांजिस्टर ,रिवॉर्ड प्लेयर ,
वगेरह जाने कहां खो गए आज ।
वो कैमरे ,वो कैलकुलेटर, टीवी , pc, ,
घर की शान लैंड लाइन वाला टेली फोन ,
वो teligram , वो खत का जाना / मिलना ,
और वो शादियों / समारोहों के निमंत्रण पत्र ,
सब अतीत की गुमनाम गालियों में खो गए आज ।
और बहुत कुछ छीना ,परिवार का सुहाना साथ ,
पड़ोसीयों/ रिश्तेदारों / दोस्तों की खैर खबर ।
स्मार्ट तो है मगर है कातिल भी ।
प्रेम ,ममता ,करुणा ,भाईचारा ,सबकी हत्या कर दी ।
छीने सब वस्तुओं के काज ,
इंसानों की सेहद भी छीन ली ।
मासूम बच्चों का बचपन छीना ,
विद्यार्थी जीवन की शिक्षा के प्रति एकाग्रता छीन ली ।
इस स्मार्ट फोन ने जमाने की हर शय छीन ली ।
इस स्मार्ट फोन ने हजारों जिंदगियां भी छीन ली और अब भी छीन रहा है ।
यह कई खतरनाक हादसों को भी आजम देता है मगर फिर भी !!
अत्याधुनिक वस्तुओं का इस्तेमाल करना आवशक है ,
मगर उनका गुलाम बना है क्यों आज का समाज