Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 1 min read

स्पर्श

शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध से परे
क्या कल्पना में भी कोई बेहद क़रीब हो सकता है
बिना दैहिक स्पर्श के
कोई भीतर तक अंतर्मन छू सकता है
हाँ, उसकी आवाज़ मेरे कानों से
गुज़रती हुई
मेरे मन को भिगोती है
उसकी आवाज़ की तरंगें
गूँजती हुई मुझे आलिंगन करती हैं
उसके जाने के बाद भी
उसके शब्द मेरे भीतर
मेरे साथ रहते हैं
मुझसे बातें करते हैं
एक संवाद स्वचालित सा
चलता रहता है
वो मुझसे बेहद दूर होकर भी
मेरे बेहद क़रीब है
एक अनछुआ स्पर्श बन
कहीं गहरे मन को छूता है….
©️ कंचन”अद्वैता”

Language: Hindi
1 Like · 38 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
कवि रमेशराज
बात तो सच है सौ आने कि साथ नहीं ये जाएगी
बात तो सच है सौ आने कि साथ नहीं ये जाएगी
Shweta Soni
गमे दर्द नगमे
गमे दर्द नगमे
Monika Yadav (Rachina)
मां है अमर कहानी
मां है अमर कहानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गुज़रे वक़्त ने छीन लिया था सब कुछ,
गुज़रे वक़्त ने छीन लिया था सब कुछ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दीवाली शुभकामनाएं
दीवाली शुभकामनाएं
kumar Deepak "Mani"
मेरे वतन मेरे चमन तुझपे हम कुर्बान है
मेरे वतन मेरे चमन तुझपे हम कुर्बान है
gurudeenverma198
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।
manjula chauhan
धार तुम देते रहो
धार तुम देते रहो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बेअदब कलम
बेअदब कलम
AJAY PRASAD
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
Shyam Sundar Subramanian
.......,,
.......,,
शेखर सिंह
अंधकार जो छंट गया
अंधकार जो छंट गया
Mahender Singh
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
SURYA PRAKASH SHARMA
*तुम  हुए ना हमारे*
*तुम हुए ना हमारे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
🙅सनातन संस्कृति🙅
🙅सनातन संस्कृति🙅
*प्रणय प्रभात*
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
Ajay Shekhavat
छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l
छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l
सेजल गोस्वामी
राम प्यारे हनुमान रे।
राम प्यारे हनुमान रे।
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
जिस तरह से बिना चाहे ग़म मिल जाते है
जिस तरह से बिना चाहे ग़म मिल जाते है
shabina. Naaz
संन्यास के दो पक्ष हैं
संन्यास के दो पक्ष हैं
हिमांशु Kulshrestha
हमारे प्यारे दादा दादी
हमारे प्यारे दादा दादी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
संवेदनाएं
संवेदनाएं
Dr.Pratibha Prakash
राज़ की बात
राज़ की बात
Shaily
"बीज"
Dr. Kishan tandon kranti
मुकद्दर तेरा मेरा एक जैसा क्यों लगता है
मुकद्दर तेरा मेरा एक जैसा क्यों लगता है
VINOD CHAUHAN
अंतिम साँझ .....
अंतिम साँझ .....
sushil sarna
जिंदा होने का सबूत
जिंदा होने का सबूत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...