स्पर्श
तुम्हारा स्पर्श पाते ही
पिघल जाता सब कुछ
बह जाता, रूका है जो कुछ
मानों पलकों के द्वार सदियों से
बन्द किसी ने खोल दिया हो
तुम्हारे स्पर्श से सहज ही
गिरते हुये भाव ऊपर उठ जाते,
मानो कोई हवा का झोंका
हठखेलियाँ करता मेरे वजूद
से सरसराकर गुजर जाता है।
तुम्हारा स्पर्श पाते ही महफूज
हो जाती इस बेदर्द जमाने में।
………….पूनम कुमारी