Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2024 · 1 min read

स्पंदन

स्पंदन
————–
अंतराल है यह विस्थापन
काल चक्र का एक सृजन है
युग बीते क्षण भी बीतेगा
परिवर्तन शाश्वत नियम है ।

हृदय तंतु अदृश्य भले ही
विश्वास अटूट प्रबल रज्जू सम
प्रेम प्रज्जवलित दीप समक्ष
परास्त अंततः अंतर्तम।

अधरामृत जिजीविषा मेरी
आलिंगन की पुनः प्रतीक्षा
यौवन स्पंदन अगाध प्रवाह की
मदमाती वह मधु निशा ।

उत्कंठित है , उद्विग्न नही
चक्षु अविराम दिशा निहारे
चंचल चपल चकोर सा मन
प्रिया तुम्हारा पंथ पखारे।

अवसाद कैसा जब स्वप्न समीप
विरह मिलन विरह है रीत
मुझे तुझे भी जीना होगी
अनंत जन्मों तक यह प्रीत ।

रचयिता
शेखर देशमुख
J 1104, अंतरिक्ष गोल्फ व्यू 2, सेक्टर 78
नोएडा (UP)

Language: Hindi
53 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shekhar Deshmukh
View all
You may also like:
धरती का बस एक कोना दे दो
धरती का बस एक कोना दे दो
Rani Singh
शिक्षकों को प्रणाम*
शिक्षकों को प्रणाम*
Madhu Shah
दोहे
दोहे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जब किसी बुजुर्ग इंसान को करीब से देख महसूस करो तो पता चलता ह
जब किसी बुजुर्ग इंसान को करीब से देख महसूस करो तो पता चलता ह
Shashi kala vyas
Quote
Quote
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*साठ बरस के हो गए, हुए सीनियर आज (हास्य कुंडलिया)*
*साठ बरस के हो गए, हुए सीनियर आज (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*नंगा चालीसा* #रमेशराज
*नंगा चालीसा* #रमेशराज
कवि रमेशराज
कैनवास
कैनवास
Mamta Rani
मैं तो अंहकार आँव
मैं तो अंहकार आँव
Lakhan Yadav
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
Ranjeet kumar patre
हालात ए शोख निगाहों से जब बदलती है ।
हालात ए शोख निगाहों से जब बदलती है ।
Phool gufran
साकार आकार
साकार आकार
Dr. Rajeev Jain
⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
SPK Sachin Lodhi
आप अपना
आप अपना
Dr fauzia Naseem shad
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
वजह ऐसी बन जाऊ
वजह ऐसी बन जाऊ
Basant Bhagawan Roy
सच तो रंग होते हैं।
सच तो रंग होते हैं।
Neeraj Agarwal
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
Saraswati Bajpai
रात……!
रात……!
Sangeeta Beniwal
अद्भुत प्रेम
अद्भुत प्रेम
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
पहुँचाया है चाँद पर, सफ़ल हो गया यान
पहुँचाया है चाँद पर, सफ़ल हो गया यान
Dr Archana Gupta
भूरा और कालू
भूरा और कालू
Vishnu Prasad 'panchotiya'
■ सीढ़ी और पुरानी पीढ़ी...
■ सीढ़ी और पुरानी पीढ़ी...
*प्रणय प्रभात*
"जरा गौर करिए तो"
Dr. Kishan tandon kranti
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
Keshav kishor Kumar
आखिर क्यूं?
आखिर क्यूं?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
महाकवि नीरज के बहाने (संस्मरण)
महाकवि नीरज के बहाने (संस्मरण)
Kanchan Khanna
2327.पूर्णिका
2327.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...