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6 Oct 2016 · 1 min read

स्नेह और नीर …..:मुक्तक

स्नेह से नीर मित्र भारी है
किन्तु इनकी सदा से यारी है
स्नेहवश नीर उपजे आँखों में
जिसमें डूबी जमीन सारी है

आज समवेत स्वर में गायें हम
गीत में भावना जगाएं हम
स्नेह उपजे सभी के मन में फिर
नीर को मिल के अब बचाएं हम

धूप जीवन में आनी जानी है
छाँव सबको लगे सुहानी है
नीर के स्रोत हों पुनर्जीवित
प्यास अधरों की यदि बुझानी है

–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

Language: Hindi
463 Views

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