स्त्री
स्त्री है ये
थक नहीं सकती है ये
रुक नहीं सकती है ये
आये जो कोई बाँधा तो
झुक नहीं सकती है ये
स्त्री है ये!!
जो हमेशा ताप दे
एक वो अंगार है
जो हमेशा प्रकाश दे
एक वो दीप है
आये जो कोई आँधी तो
बुझ नहीं सकती है ये
स्त्री है ये!!
स्त्री है ये
थक नहीं सकती है ये
रुक नहीं सकती है ये
आये जो कोई बाँधा तो
झुक नहीं सकती है ये
स्त्री है ये!!
जो हमेशा ताप दे
एक वो अंगार है
जो हमेशा प्रकाश दे
एक वो दीप है
आये जो कोई आँधी तो
बुझ नहीं सकती है ये
स्त्री है ये!!